मेरे कविता में
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मेरे कविता में,
मेरा जीवन छूपा है,
मेरे जीवन में,
मेरा कविता छूपा है ।
वेहद संघर्ष के बाद,
यह मिलन हुआ है,
मेरे दोस्तों,
मुझे मत नकारो,
आपकी हर फयशाला पर,
मेरा शीष् झुका है ।
मेरे कविता में........
नत मस्तक हर भावना का
मैं करता हुं कदर,
ऊजाले और अंधेरा,
दोनो का ही मैं करता हुं आदर ।
सुख और दुखों के मिलन से ही
जीवन होते है पुरे ।
मेरे दोस्तो,
मेरे अर्पण से मुझे मत उखाड़ो ।
आपकी हर जज़्बात पर
मेरे उम्मीद जुड़े हुये है ।
मेरे कविता में........
बूझी बूझी सी अब
जीवन की दीया है मेरा,
आत्मकलह में डूव गई हैअब,
मेरे जीवन की सबेरा ।
अब ना रहा है वो मीत,
अब ना रहा है वो संगीत,
हर कोई संवेदना अब सुखों की
पैरों में पहना दिया है जंज़ीर ।
मेरे कविता में........
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