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Tuesday, August 29, 2017

जितेन्द्रनाथ गिरि

मेरे कविता में    

Image Courtesy: Pinterest

  

मेरे कविता में,
मेरा जीवन छूपा है,
मेरे जीवन में
मेरा कविता छूपा है ।
वेहद संघर्ष के बाद
यह मिलन हुआ है,
मेरे दोस्तों
मुझे मत नकारो,
आपकी हर फयशाला पर,
मेरा शीष् झुका है ।
मेरे कविता में........
नत मस्तक हर भावना का  
मैं करता हुं कदर,
ऊजाले और अंधेरा
दोनो का ही मैं करता हुं आदर ।
सुख और दुखों के मिलन से ही
जीवन होते है पुरे ।
मेरे दोस्तो
मेरे अर्पण से मुझे मत उखाड़ो ।
आपकी हर जज़्बात पर  
मेरे उम्मीद जुड़े हुये है ।
मेरे कविता में........
बूझी बूझी सी अब
 जीवन की  दीया है मेरा,
आत्मकलह में डूव गई हैअब,
मेरे जीवन की सबेरा ।
अब ना रहा है वो मीत,
अब ना रहा है वो संगीत,
हर कोई संवेदना अब सुखों की 
पैरों में पहना दिया है जंज़ीर ।
मेरे कविता में........






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