बचपन
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एक साँस में भाग कर हम पेड़ों पर चड़ जाया करते थे,
एक साँस में दूध का गिलास भी ख़त्म कर जाया करते थे,
छोटी सी चीज पाने को भी यारों हम अड़ जाया करते थे,
वो भी क्या दिन थे यारों जब हम स्कूल जाया करते थे।
एक साँस में दूध का गिलास भी ख़त्म कर जाया करते थे,
छोटी सी चीज पाने को भी यारों हम अड़ जाया करते थे,
वो भी क्या दिन थे यारों जब हम स्कूल जाया करते थे।
सर्दी हो या बरसात , मैदान में जरूर जाया करते थे,
पिता की सीख, माँ का दुलार और वह दोस्तों का प्यार
रह रह कर आज भी याद आ जाता है यार....
पिता की सीख, माँ का दुलार और वह दोस्तों का प्यार
रह रह कर आज भी याद आ जाता है यार....
आज एक मंजिल की सीडीयाँ चढने में पसीना आ जाता है,
शुगर,बी पी के मारे हर पकवान देख मन ललचाता है,
नोकरी और घर की कश्मकश के बीच मन ठगा सा रह जाता है।
शुगर,बी पी के मारे हर पकवान देख मन ललचाता है,
नोकरी और घर की कश्मकश के बीच मन ठगा सा रह जाता है।
मन, कर्म और बचन के बीच शायद सामंजस्य बिठा पाऊँ मैं,
बचपन की उस मस्ती को शायद ही कभी भुला पाऊँ मैं।।
बचपन की उस मस्ती को शायद ही कभी भुला पाऊँ मैं।।
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