बहत दिनो के बाद
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बहत दिनो के बाद, अब
गरजने लगे है बादल ।
बहत दिनो के बाद, अब
बरसने लगे है बारिश ।
बहत दिनो के बाद, अब
सुनने को मिला है मेघो के संगीत ।
हरियाली की प्राणो की गीत ।
देखने को मिले है
अम्बर और धरती की मिताली ।
बहत दिनो के बाद, अब
सृष्टी को मिली है एक निर्भीक जीत् ।
फुलो की रंगो को मिली है रंगत
बहत दिनो के बाद ।
खिली है मन की उमंगो की कलि
बहुत दिनो के बाद ।
बहत दिनो के बाद, अब
धरती सजाने आई है
रिम् झिम् बारिशों की टोली ।
जिने की श्वास में, जो गले में
कस गये थे गर्मी की फाँस,
अब हुये है आजाद ।
बहत दिनो के बाद, अब
साजने लगी है जीवन की रंगोली ।
बहत दिनो के बाद, अब
पँहूचि है ठंडक, हवायों के घर ।
बहत दिनो के बाद, अब
रज कण को मिली है
ठण्डि ठण्डि लहर ।
गुनगुनाने लगे है सबुज
नृत्तविद बनने लगे है अबूझ ।
बहुत दिनो के बाद, अब
आपस में मिलने लगे है
खेत-खलिहान, गाँव-शहर ।