रचनात्मकता से व्यापारिक उत्कृष्टता एक सपना - “मेक इन इंडिया”
वर्तमान वैश्विक
प्रतिस्पर्धा के युग में व्यापारिक उत्कृष्टता प्राप्त करने हेतु सतत सुधार तथा
विकास आवश्यक है और यह सतत सुधार तथा विकास उसी संस्थान का जारी रह सकता है जिसके
कर्मचारी रचनात्मक हो। हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी का सपना है “मेक
इन इंडिया” और “मेक इन इंडिया” तभी संभव है जब भारत में उद्योगों
तथा संस्थानों का सतत सुधार एवं विकास हो। सतत विकास एवं सुधार की प्रमुख कड़ी है
कर्मचारियों की रचनात्मकता ।
“सफलता की कहानी
वही लिख पाया
जिसने रचनात्मकता को समझा और अपनाया ”
ईश्वर ने मानव
को सोचने, समझने और इच्छा प्रकट करने की शक्ति प्रदान की है
यही मानव की रचनात्मक शक्ति होती है । मानव का दिमाग एक बैंक खाते की तरह होता है, जिस प्रकार बैंक खाते में धनराशि
डेबिट एवं क्रेडिट होती है उसी प्रकार मानव के दिमाग में भी विचारों का डेबिट एवं
क्रेडिट होता है । यदि मानव सही समय पर क्रेडिट विचारों का आत्म मंथन न करें तो वह
समय उपरांत डेबिट हो जाते हैं और यदि सही समय पर क्रेडिट विचारों को रचनात्मक रुप
से सोचें, उन्हें समझें तथा उन्हें अपनी रचनात्मक शक्ति से
गति प्रदान करें तो वह स्वयं के साथ-2 संस्थान एवं हमारे देश भारत के हित में लाभकारी
एवं उपयोगी साबित होते है।
“ आपका दिमाग है एक बैंक खाता इसमें हर रोज नया विचार है आता जाता,
अच्छे विचारों को व्यर्थ ना जाने दे रचनात्मकता
के रुप में बाहर आने दें | ”
कभी-कभी मानव इस
बात से भी भयभीत रहता है कि पता नहीं हमारा विचार सही है अथवा गलत, कोई क्या सोचेगा ? कोई हम पर हंसेगा तो नहीं ? आदि –आदि । पर आप इन सब की चिंता को त्याग दें पूरे
आत्मविश्वास के साथ रचनात्मक रुप से अपने विचारो को प्रबंधन के सामने रखें यदि कोई परेशानी अथवा भय है, तो अपने सुपरवाइजर एवं अधिकारी से वार्ता तथा मंथन कर इसे दूर करें, स्वयं पर विश्वास रखिए सच मानिए आपकी रचनात्मकता
से दिया गया एक छोटा सा विचार बेहतर से बेहतर परिणाम सामने ला सकता है। आपका एक छोटा सा विचार जो आपकी रचनात्मक शक्ति
का परिचायक है एक पूरी कहानी को जन्म देता है जो शुरू तो होती है एक विचार के साथ
तथा सुझाव, इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट , तकनीकी
लेख ,कविता, टेक्निकल पेपर, पोस्टर, स्लोगन के रास्ते आगे बढ़ते हुए रचनात्मकता को
विकसित करते हुए व्यापारिक उत्कृष्टता की कहानी को अंजाम तक पहुंचाती है |
“ बस एक सोच से
बन जाए पूरी कहानी
यही तो है मानव के
रचनात्मकता की निशानी
क्या गलत क्या सही हम
यह सोचे ना कभी
व्यापारिक
उत्कृष्टता का सपना हो पूरा
रह जाए ना कोई कमी ………………”
रचनात्मकता के
प्रकार :-
हम अपनी
रचनात्मकता को निम्नलिखित माध्यम से प्रकट कर सकते हैं जो निश्चित ही व्यापारिक
उत्कृष्टता में एक मील का पत्थर है
ü सुझाव
ü इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट
ü टेक्निकल पेपर
ü गुणता चक्र
ü तकनीकी लेख
ü कविता
ü पोस्टर
ü स्लोगन
उपरोक्त सभी रचनात्मकता को प्रकट करने का
अलग-अलग माध्यम है परंतु सभी के द्वारा हम अपने संस्थान को अपने देश को विभिन्न
लाभ दिला सकते हैं और निश्चित मानिए कि जब हमारे देश का, हमारे संस्थान का लाभ होगा
प्रगति होगी, तो
हमारा भी लाभ तथा प्रगति अवश्य ही होगी |
“ अपनी रचनात्मकता से दे अपने संस्थान और देश का पूरा साथ
सबका
होगा विकास जब होगा सबका पूरा-पूरा साथ ”
रचनात्मकता से व्यापारिक
उत्कृष्टता :-
आप की रचनात्मक सोच
से निम्नलिखित लाभ संस्थान तथा देश को होंगे तथा संस्थान तथा देश व्यापारिक
उत्कृष्टता की ओर निरंतर अग्रसर होगा ।
Ø ऊर्जा की बचत
Ø सामग्री एवं अन्य संसाधनों
की बचत
Ø श्रम घंटों की बचत
Ø कार्य दशाओं में सुधार
Ø मशीन में सुधार
Ø अनुरक्षण में कमी
Ø तकनीकी विकास
Ø प्रक्रिया में सुधार
Ø टूल, जिग एवं फिक्सर में सुधार
Ø गुणवत्ता में वृद्धि
Ø लागत में कमी
Ø पर्यावरण
संरक्षण
Ø सतत विकास
Ø उत्पादकता में वृद्धि
Ø सकल लाभ में वृद्धि
Ø स्वयं के कार्य में सुधार
Ø आत्म संतुष्टि
Ø ग्राहक संतुष्टि
इस प्रकार हम
देखते हैं कि कर्मचारियों की रचनात्मक सोच से निकल कर आया एक छोटा सा विचार
व्यापारिक उत्कृष्टता की दिशा में बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता है अगर हमें अपने आप
को प्रतिस्पर्धा में बनाए रखना है तो हमें व्यापारिक उत्कृष्टता को बनाए रखना होगा
और व्यापारिक उत्कृष्टता को बनाए रखने
हेतु हमें कर्मचारियों की रचनात्मक सोच के माध्यम से समय समय पर कार्य, तकनीकी में परिवर्तन लाने होंगे
तभी हम अपने प्रधानमंत्री जी के “ मेक इन इंडिया” के सपने को साकार कर पाएंगे और हमारा भारत विश्व
गुरु कहलाएगा
|
जो कर्मचारी तथा संस्थान रचनात्मक सोचेगा , वही व्यापारिक उत्कृष्टता दे पायेगा ,
प्रधानमंत्री जी के “मेक इन इंडिया” का सहयोग कर
भारत को विश्व गुरू वनायेगा ।।